Tuesday, January 20, 2009

राहिल की पार्टी






पीपल के पेड़ पर चिडियों का राज
राहिल तुम्हारी पार्टी है आज
कौवों ने चिल्ला के तुमको जगाया
थोडी देर बाद वह खिड़की पर आया
" सबकी है तैयारी राहिल नहीं जागा ?"
"जल्दी में आज हूँ "_कहकर वह भागा

"बार्बिट ने पहने हैं हरे हरे कोट
लाल टाई डाल छुपा पत्तों की ओट
गौरैयों को अपना रिंग टोन न भाया
चूँ -चूँ और ची-ची का गाना लगाया

ओरियोल ने पहनी है पीली सी ड्रेस
उसमे लगाई है पीली सी लेस

कबूतर तो गर्दन फुलाता हुआ नाचे
कबूतरी के सामने प्रेम कथा बांचे

सूरज की रोशनी आ आ के झांके
सागर भी मौज में चला इठलाके

मौसी गिलहरी तो सबसे है आगे
इधर उधर सीटियाँ बजाती हुई भागे

पीपल के पेड़ पर बड़ी धूम धाम
ऐसी जमी पार्टी की क्या कहें राम !"

पत्तों की प्लेट पर शोर मचा तब
" सब कुछ अरेंज्ड है खाना दो अब "

"रुको - रुको अभी तो है मेंन गेस्ट को आना
वही तो है बेस्ट कहे सारा ज़माना
उसके आने पर रंग होगा और
जैसे बरसात में झूमे है मोर
सबने बनाया है मेंन गेस्ट जिसको
हम भी तो देख लें कुर्सी दी किसको
जिसके आने पर रंग होगा और
अरे भाई किंगफिशर हम सबका मौर
सुनते ही पार्टी में नयी जान आयी
चलो भाई राहिल अब पार्टी रंग लाई







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